सीता राम|| सीता राम ||

श्यामल तन है, श्यामल मन है, कैसे तुझको ढूंढूँ राम| ख़ूब बजाए शंख नगाड़े, गया अयोध्या हर मंदिर राम || गंगा जमुना श्यामल हुई , धुले ना फिर भी पाप ओ राम| हर पल जपता मैं सीता राम, कभी ना मिलते तुम राजा राम || चंद्रशिल्ला में तप किया, चित्रकूट में दान | कण कण में तेरा नाम, फिर भी ना मिलते तुम राजा राम || वो कहते मुझको अज्ञानी, तुमको बतालाते मिथ्या राम| किस पथ जाऊ कैसे समझाऊँ, तुम्ही हो मेरे राजा राम || सुमरूँ मैं सुबहा-शाम, किस लोक तुम अंतरध्यान | नजर ना आओगे जब तक राम, जपता रहूँगा सीता राम ||