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Showing posts from 2018

गाँधी से बड़े गाँधी : लाल बहादुर शास्त्री

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किस्सा तब का है जब लाल बहादुर शास्त्री प्रधानमंत्री बने ही थे | पहली पत्रकार वार्ता में उन्हे इशारों ही इशारों में समकालिक धुरंधर पत्रकारों ने बता दिया कि नेहरू जी की छवि इस कुर्सी पर उनके मरने के बाद भी बनी रहेगी और शास्त्री जी को नेहरू जी की बनायी नीति से ही चलना पड़ेगा | दौर ऐसा हो चला था कि कांग्रेस अपने आप को प्रधानमंत्री पद से उपर समझने लगी थी, एक राज परिवार की तरह | शास्त्री जी को विवशता वश इन्दिरा को केन्द्रीया सूचना प्रसारण मंत्री भी बनाना पड़ा | अब प्रधानमंत्री बने शायद कुछ ही दिन हुए होंगे, उनके पास इन्दिरा जी की चिट्ठी आई जिसमे प्रधानमंत्री निवास "तीन मूर्ति भवन" को नेहरू मेमोरियल बनाने की माँग थी | "यह घर बहुत बड़ा है निवास के लिए, नेहरू जी का रुतबा बड़ा था, उनसे बहुत लोग मिलने आते थे, पर भविष्य में किसी प्रधानमन्त्री का रुतबा इतना बड़ा नहीं होगा" लिखकर इन्दिरा जी ने अंत किया |यह चिठ्ठी किसी तीर की तरह शास्त्री जी के हृदय में लग गयी | वे स्वाभिमानी थे, उन्होने अपना निवास बदलने का आदेश दे दिया | यहा से शुरू हुई शास्त्री जी और इंदिरा जी का शी...

Yoga : Spirituality or business ?

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                                                             What have these people done to yoga? Thousands of years ago, Patanjali described hatha yoga; Krishna described the entire yoga system. Both these teachers advised practitioners and yoga teachers to embrace among other things like Austerity, Simplicity and celibacy and renunciation of worldliness.Yogis lived in forest or mountains; they ate what grew wild, shunned the world and abandoned worldly tapping’s for a higher cause .i.e for enlightenment. Fast forward 2018 and Yoga is now market worth 80 billion USD, Student pay for each session, teachers’ pay highly for developing the expertise. Yoga retreat are through the roof, added to that are requisite Yoga equipment’s : Yoga Mats , Yoga pants , yoga shirt , yoga incense and variety of yoga st...

सीता राम|| सीता राम ||

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श्यामल तन है, श्यामल मन है, कैसे तुझको ढूंढूँ राम| ख़ूब बजाए शंख नगाड़े,  गया अयोध्या हर मंदिर राम || गंगा जमुना श्यामल हुई , धुले ना फिर भी पाप ओ राम|  हर पल जपता मैं सीता राम,  कभी ना मिलते तुम राजा राम || चंद्रशिल्ला में तप किया,  चित्रकूट में दान | कण कण में तेरा नाम,  फिर भी ना मिलते तुम राजा राम || वो कहते मुझको अज्ञानी,  तुमको बतालाते मिथ्या राम| किस पथ जाऊ कैसे समझाऊँ,  तुम्ही हो मेरे राजा राम || सुमरूँ मैं सुबहा-शाम,  किस लोक तुम अंतरध्यान  | नजर ना आओगे जब तक राम,  जपता रहूँगा सीता राम ||