गाँधी से बड़े गाँधी : लाल बहादुर शास्त्री

किस्सा तब का है जब लाल बहादुर शास्त्री प्रधानमंत्री बने ही थे | पहली पत्रकार वार्ता में उन्हे इशारों ही इशारों में समकालिक धुरंधर पत्रकारों ने बता दिया कि नेहरू जी की छवि इस कुर्सी पर उनके मरने के बाद भी बनी रहेगी और शास्त्री जी को नेहरू जी की बनायी नीति से ही चलना पड़ेगा | दौर ऐसा हो चला था कि कांग्रेस अपने आप को प्रधानमंत्री पद से उपर समझने लगी थी, एक राज परिवार की तरह | शास्त्री जी को विवशता वश इन्दिरा को केन्द्रीया सूचना प्रसारण मंत्री भी बनाना पड़ा | अब प्रधानमंत्री बने शायद कुछ ही दिन हुए होंगे, उनके पास इन्दिरा जी की चिट्ठी आई जिसमे प्रधानमंत्री निवास "तीन मूर्ति भवन" को नेहरू मेमोरियल बनाने की माँग थी | "यह घर बहुत बड़ा है निवास के लिए, नेहरू जी का रुतबा बड़ा था, उनसे बहुत लोग मिलने आते थे, पर भविष्य में किसी प्रधानमन्त्री का रुतबा इतना बड़ा नहीं होगा" लिखकर इन्दिरा जी ने अंत किया |यह चिठ्ठी किसी तीर की तरह शास्त्री जी के हृदय में लग गयी | वे स्वाभिमानी थे, उन्होने अपना निवास बदलने का आदेश दे दिया | यहा से शुरू हुई शास्त्री जी और इंदिरा जी का शी...