Sangraam !!





सेहरा में खोयी थी
धरती प्यासी रोई थी
कोहराम ये हरगाम हुआ
माँ तेरा क्या अंजाम हुआ ?

लपट चली थी सरपट सरपट
प्यास भुझि पनघट पनघट
आँचल तेरा बेजान हुआ
माँ तेरा क्या अंजाम हुआ ?

व्यथित हुआ है जीवन सारा
निज मंथन में पथिक भी हरा
सावन क्यों अंजान हुआ
माँ ऐसा क्या संग्राम हुआ ??

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