ख्वाबों के व्यापारी
हम ख्वाबों के व्यापारी थे
पर इसमें हुआ नुकसान बड़ा
पर इसमें हुआ नुकसान बड़ा
कुछ तस्वीरों के
कुछ अल्फाज़ों के
दिन में ख्वाब बनाते थे
रात दुकान चलाते थे
कुछ अल्फाज़ों के
दिन में ख्वाब बनाते थे
रात दुकान चलाते थे
फिर रात अंधेरी आयी
बस्ती हमने खाली पायी
उस रोज़ पड़ा अकाल बड़ा
वो छोटा सा डिब्बा छूट पड़ा
बस्ती हमने खाली पायी
उस रोज़ पड़ा अकाल बड़ा
वो छोटा सा डिब्बा छूट पड़ा
ख्वाब नहीं है अब बुनने को
लोग नहीं अब सुनने को
हम हसना गाना छोड़ दिए
लोग बोली लगाना भूल गए
लोग नहीं अब सुनने को
हम हसना गाना छोड़ दिए
लोग बोली लगाना भूल गए
हम ख्वाबों के व्यापारी थे
पर उसमे हुआ नुकसान बड़ा |
पर उसमे हुआ नुकसान बड़ा |
Comments
Post a Comment